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Showing posts from January, 2021

Quotes in English: Salutation to Salvation (Words of Worth: Part 1)

  Learning, Living and Leaving All revolve around the same ball... You can choose to run and grab it or to hold after a brisk walk,  Being a vicious circle, there is nothing called start and nothing called stop, With your will or without it, The ball will keep you onto the walk.... You'll certainly attain it even if you choose to crawl. Everyone has a story to tell. I may be portrayed as heroic in one and villainous in the other... Kind and amiable in one, treacherous in the other... But at the end, all I tell myself is: It was just a story, not my autobiography.... Don't use your words and still use your words... Not to speak to one who doesn't listen, But to write for the one who reads. Handling stress is where handling success begins. What's in a name, but something in the name. When you hear love, sweetness shall melt in your mouth, cater your sweet tooth and taste buds be gratified. Whisper not to the one who turns a deaf ear, Write for the one who intends to read.

Messages, Shayari

जिंदगी तू अभी बाकी है, जब तक पाया नहीं मंज़र, तू बाकी सही, मैं बाग़ी सही। ...    दुनिया में ऐसा कोई नशा नहीं, जिसे जीने के लिए उसे पीना ही पड़े.......     मेरी ख्वाईशों को पहचान सको, इतनी तुम्हारी पहुँच नहीं, वरना जरूरतें तो पहले भी पूरी हो ही रही थीं... किस्मत तो बस दो पल की होती है,  उस पल को जीना ही ज़िन्दगी है...  जीवन और मृत्यु सब निश्चित है, सब जान कर भी ख़ुशी-ख़ुशी कर्म करते हुए जीना  ही असली ज़िन्दगी है |  दुनिया के डर से नहीं, अपनों के दर्द से डरता हूँ मैं, खुद से तो लड़ता ही हूँ, अपनों के लिए खुदा से भी लड़ता हूँ मैं.. हर सुबह एक नया सफर चुनता हूँ  और हर रात एक नया सपना बुनता हूँ|  सुबह से शाम तक के सफ़र में, अनेकों फासले तय करता हूँ मैं,  खुद से तो लड़ता ही हूँ, अपनों के लिए खुदा से भी लड़ता हूँ मैं.. दुःख भी था, दर्द भी था, वो तो कभी से था, आज सोचा तुम्हे दर्द दिखा, तो हल्का सा उसका एक पहलू बयां कर दिया, शायद यही आज गलत कर दिया। - शिप्रा अनादि देव कौशिक

" मैं तो किसान हूँ - मेरा दर्द मिट्टी और मिट्टी का दर्द मैं ही जानता हूँ"

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  मैं तो किसान हूँ, मुझे किसानी आती है, गर पड़े ज़रुरत, तो मुझे कुर्बानी भी आती है| ईमानदार हूँ, कर्मठ हूँ, ठोस हूँ, सहनशील भी हूँ, ख्वाहिशें भी हैं, जिम्मेदारियां भी हैं, बस जुबां तक आती नहीं मेरी कहानी है| खेत खलिहानों में बचपन बीता, यहीं बीती जवानी है, पतझड़ में भी जो खेतों में हरियाली है, वो ईमानदारी से की गयी मेरी किसानी है, अन्न-दाता होना तो मेरा स्वाभिमान है,  अहंकार तो मुझ में दूर-दूर तक नहीं, और न आती मुझे बेईमानी है|  मेरी इच्छाएं छोटी सही, मगर कद मेरा छोटा नहीं,  आशाएं होती हैं किसान की सिर्फ इतनी सी:  समय से वर्षा, समय से सूरज, समय से फूल, समय से फल,  कट जाए समय से ही फसल| बेशक बाहर से ठोस हूँ, दिल मेरा भी पिघलता है,  मेरा पसीना, मेरा खून, पल पल मिट्टी में मिलता है|  आज जो मैं दर पर तेरे आया हूँ, भीख का कटोरा ले कर नहीं, सच्चाई का पिटारा लाया हूँ| जिस कुर्सी पर था तुझे बिठाया, उसी की जिम्मेदारियां तुझे समझाने आया हूँ|  तुझ तक आवाज़ पहुंची नहीं आवाम की, कमरा शायद तेरा ध्वनिरोधी हो गया है, और कानों तक तेरे शोर न पहुंचा, इसलिए अपनी व्यथा आप सुनाने आया हूँ| कभी न धरा ने, न कभी उप