उम्मीद है
दुनिया कहती है, उम्मीद नहीं है, उम्मीद नहीं है,
लेकिन एक उम्मीद ही तो है जो छूटती नहीं है,
जब तक चलती रहती है सांस,
साथ ही बंधी रहती है आस
नाउम्मीद न होना कभी,
जो चाहिए नहीं, उसको सोचो भी न कभी...
जो चाहोगे, वो ही पाओगे,
जो होना है, वो तो होना ही है,
पर रो कर उम्मीद का दामन क्यों भिगोना है?
खाली हाथ आये हैं, खाली हाथ ही जाना है,
पर बिना उम्मीद के,
जीते-जी खाली हाथ रह जाओगे,
क्या चाहत ये ही है, ऐसे रो-रो के ही जीना है?
Shipra Anadi Dev Kaushik
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