आखिरी तमन्ना

 Rules are never equal. And so is freedom...


किसी पर बँध जाता है, किसी को बाँध जाता है,
किसी को मिल जाता है, किसी से छिन जाता है,
कोई उड़ जाता है, कोई रुक जाता है,
कोई खुश है, कोई दुःख के हाथों मजबूर है,
कोई बह जाता है, कोई ठहर जाता है,
ये तो सैलाब है........ 
किसी के लिए गैरतमंद, तो किसी के लिए बेगैरत है,
ऊँची से ऊँची इमारत को चूर करता है यही.... 2 
तो मिटटी से चट्टानें भी बनता है यही.... 
और 
उन्हीं चट्टानों को फिर मिट्टी में मिलाता भी यही है.... 
मिट्टी है सब, मिट्टी में सब मिलना है...... 2 
जो मान ले ये, जो जान ले ये.... 2 
फिर नहीं बचती .... 
आखिरी कोई तमन्ना है.... 2 
 


Comments

Popular posts from this blog

English Language Day: April 23 every year

World Health Day: Healthy is Happy (April 7 every year)

International Day for Biological Diversity: May 22 every year