Column from My Kalam is a collection of my personal thoughts neither well crafted nor beautifully drafted. But with the light of hope alive that some day in some way, they may befit somewhere and benefit someone, I thought of bringing them live online.
Happy Dusshera (Vijaydashmi)
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Wishing you all a very Happy Dussehra. May the evil rest in peace and happiness, wellness and peace prevail.
दुनिया कहती है, उम्मीद नहीं है, उम्मीद नहीं है, लेकिन एक उम्मीद ही तो है जो छूटती नहीं है, जब तक चलती रहती है सांस, साथ ही बंधी रहती है आस नाउम्मीद न होना कभी, जो चाहिए नहीं, उसको सोचो भी न कभी... जो चाहोगे, वो ही पाओगे, जो होना है, वो तो होना ही है, पर रो कर उम्मीद का दामन क्यों भिगोना है? खाली हाथ आये हैं, खाली हाथ ही जाना है, पर बिना उम्मीद के, जीते-जी खाली हाथ रह जाओगे, क्या चाहत ये ही है, ऐसे रो-रो के ही जीना है? Shipra Anadi Dev Kaushik
बीज की फितरत है फैलते जाने की, लेकिन ज़मीन की भी ज़िद है संभालने की, पत्ते को जल्दी है निकल जाने की, और फूल की चाह है खिल जाने की, लेकिन फल की ज़िद है फूल से फल बन जाने की, और एक बीज से अनेक बीज बनाने की, और फिर ज़मीन पा कर फैलते ही जाने की | ये कुदरत का करिश्मा है या सिलिसिला चाहत का, बीज बिना ज़मीन बंजर, और ज़मीन पर ही है बीज पूर्णतः निर्भर|| -Shipra Anadi Dev Kaushik
Rules are never equal. And so is freedom... किसी पर बँध जाता है, किसी को बाँध जाता है, किसी को मिल जाता है, किसी से छिन जाता है, कोई उड़ जाता है, कोई रुक जाता है, कोई खुश है, कोई दुःख के हाथों मजबूर है, कोई बह जाता है, कोई ठहर जाता है, ये तो सैलाब है........ किसी के लिए गैरतमंद, तो किसी के लिए बेगैरत है, ऊँची से ऊँची इमारत को चूर करता है यही.... 2 तो मिटटी से चट्टानें भी बनता है यही.... और उन्हीं चट्टानों को फिर मिट्टी में मिलाता भी यही है.... मिट्टी है सब, मिट्टी में सब मिलना है...... 2 जो मान ले ये, जो जान ले ये.... 2 फिर नहीं बचती .... आखिरी कोई तमन्ना है.... 2
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